कविता से
नीचे लिखी पंक्तियाँ पढ़कर उत्तर दो।
“रोज त्योहार मनाएँगे।”
तुम्हारे विचार से क्या रोज़ त्योहार मनाना उचित है? क्यों?
हमारे विचार से रोजाना त्योहार मनाना उचित नहीं है। यदि हम रोजाना किसी उत्सव का जश्न मनाना शुरू कर दें तो जल्दी ही उत्सवों का महत्व कम हो जाएगा। दूसरा, इंसान अपने सभी कामों को छोड़कर इन्हीं त्योहारों में उलझा रहेगा। इंसानों का जेबखर्च बढ़ जाएगा और घर में आर्थिक तंगी के हालात पैदा होने लगेंगे। जिन त्योहारों की हमें प्रतीक्षा रहती है उनमें रस खत्म हो जाएगा और वे बेहद साधारण लगने लगेंगे।